Tuesday, June 30, 2015

बहन की आँख खुली तो लंड दिखा

हेलो फ्रेंड्स मेरा नाम राज है आज मैं आपको अपनी वो सच्चाई बताने जा रहा हूँ जो एक हादसा है जो मेरे ओर मेरी बहन के बीच मैं हुआ मैं अपनी बहन के बारे मैं बता दूँ मेरी बहन का नाम शेली है ओर वो मुझसे 3 साल छोटी है वो दिखने मैं बहुत सुन्दर है उसके बूब्स का साइज़ 36  है ओर गांड देख लो तो वही घोड़ी बना कर लंड डालने का दिल करे क़िसी का भी अब मैं अपनी स्टोरी पर आता हूँ पहले मेरे मन मैं ऐसा कोई विचार नही था अपनी बहन को चोदने का लेकिन मैं रोज इस साइट की स्टोरी पढ़ता हूँ ओर भाई बहन की स्टोरी मुझे ज्यादा अच्छी लगती है  ओर मेरी बहन भी दिन ब दिन निखरती जा रही थी एक दिन वो घर मैं अकेली थी सब बाहर गये थे ओर मैं अपने कॉलेज गया था.
मेरी छुट्टी जल्दी हो जाने की वजह से मैं घर जल्दी आ गया जब मैं घर पहुँचा तो शेली मेरे रूम मैं सो रही थी शेली ने पजामा ओर टी शर्ट पहनी थी ओर उल्टी लेटी थी जिससे मेरी बहन की 36 की गांड उपर थी ओर पेंटी की शेप नज़र आ रही थी ओर मेरी बहन के बूब्स नीचे दबे थे मैं शेली के पास गया ओर उसकी टी शर्ट मैं हाथ डाल कर कमर पर हाथ फेरने लगा ओर घर मैं भी कोई नही था तो मुझे ज्यादा डर नही लग रहा था मैं हल्के हल्के से हाथ फेरता हुआ उसकी ब्रा तक ले गया ओर हुक खोल दिये और टी शर्ट उपर करके मैं अपनी बहन की कमर पर अपनी जीभ फेरने लगा इतने मैं शेली हिली तभी मैं पीछे हट गया वो सीधी हो कर लेट गई  उस टाइम मेरी बहन की निपल टी शर्ट के उपर से खड़ी हुई थी.
मैं अपनी दो उंगलियों से उसकी  निप्पल मसलने लगा ओर जब शेली के मुँह की तरफ देखा तो मेरी बहन अपनी आँख ज़ोर से बंद कर रही थी मैं समझ गया की मेरी प्यारी बहन जाग रही है ओर मज़े ले रही है मेने उसकी टी शर्ट उपर की ओर शेली को आवाज़ दी की शेली थोड़ा उपर हो जाओ तो टी शर्ट ओर उपर कर दूँ उसने अपनी कमर उठाई ओर उपर हो गई अब मैं समझ गया की मेरी बहन पूरी गर्म है तो मेने उसकी टी शर्ट गले तक उपर कर दी.
फिर मेने ब्रा के उपर से ही बूब्स पकड़े ओर मसलने लगा 2 मिनिट मसलने के बाद मेने ब्रा को भी उपर किया ओर अपनी बहन के गोरे गोरे बूब्स मसलने लगा ओर लाइट ब्राउन चूची चूसने लगा फिर मेने उसकी टी शर्ट ओर ब्रा उतार दी मेरी बहन उपर से नंगी थी ओर मेने अपना लंड निकाल लिया ओर शेली की आँखों के उपर कर दिया ओर बोला बहन आँखे खोलो तो जेसे ही उसने आँखे खोली मेरा 7 इंच का लंबा लंड देख कर दंग रह गई मेने कहा इसे पकड़ो उसने अपने हाथो से मेरा लंड पकड़ा ओर एक किस की जेसे साली इस काम मैं एक्सपर्ट हो तो मैं अपना लंड उसके मुँह पर रगड़ने लगा मेरी बहन ने अपना मुँह खोला ओर लंड के टोपे को मुँह मैं लेकर चूसने लगी फिर मेने हल्के हल्के झटको के साथ अपनी बहन का मुँह चोदने लगा मैं अपना आधा लंड ही अपनी बहन के मुँह में दे रहा था.
फिर मेने अपना लंड शेली के मुँह से निकाला ओर उसके पजामे को नीचे सरका कर उतार दिया मेरी बहन ने रेड पेंटी पहनी थी जो गीली थी मेने पेंटी की साइड से हाथ डाल कर चूत रगड़ने लगा शेली ऊऊहह भैया आआअहह मुझे कुछ हो रहा है प्लीज करते रहो आहह करती रही फिर मेने अपना हाथ पेंटी से बाहर निकाल लिया ओर पेंटी भी उतार दी मेरी बहन की चूत एकदम टाइट थी उस पर छोटे छोटे बाल थे मेने अपनी एक उंगली उसमे डाली तो शेली चिल्लाई फिर मैं अपनी बहन की चूत को चाटने लगा ओर अपनी जीभ भी अंदर करने लगा मेरी बहन के मुँह से आआआः ऊहह भैया ओर अंदर जीभ डालो भैया आआहह जेसी आवाज़े आ रही थी मेरी बहन झड़ने वाली थी तो मेने चूत चाटनी बंद कर दी.
अब मेने भी अपने सारे कपड़े उतार दिये मैं शेली के बूब्स रगड़ने लगा फिर उपर हो कर मैं अपनी बहन को लिप किस करने लगा मेरी बहन मेरे नीचे दबी थी ओर मेरा लंड उसकी चूत को टच कर रहा था मेरे लंड से पानी भी निकल रहा था जो मेरी बहन की चूत पर लिप्स पर लग रहा था ओर मैं अपनी जीभ उसके मुँह मैं डालने लगा मेरे हाथ मैं शेली के बूब्स थे जिन्हे मैं निचोड़ रहा था ओर शेली आअहह ऊओहमम्म करते हुये मेरे बालो मैं हाथ फेर रही थी फिर मैं खड़ा हो गया बेड पर ओर शेली को नीचे बेठा दिया ओर अपने लंड को उसके मुँह के पास किया शेली मेरे लंड को ध्यान से देख रही थी ओर मैं अपने हाथ मैं लंड पकड़ कर शेली के मुँह पर मार रहा था कई बार ज़ोर से गालो पर मारता तो शेली अपनी आँखो को ज़ोर से बंद करती और उसके गाल लाल हो गये थे.
फिर मेने अपना लंड शेली के लिप पर रखा मेरी बहन काफ़ी समझदार थी तो उसने खुद अपना मुँह खोल लिया ओर लंड के टोपे को चूसने लगी मेने अपनी बहन का मुँह पकड़ा ओर ज़ोर से झटके मारने लगा जिससे लंड मेरी बहन के गले तक चला गया शेली मुझे धक्के से पीछे करने लगी क्योकी मेरी बहन का सांस रुक गया था मेने 2 या 3 झटके मार कर लंड मुँह से निकाल लिया मेरी बहन खांसने लगी फिर बोली भैया आराम से कर लो ऐसे तो मत करो कोई रंडी तो नही हूँ जो ऐसा कर रहे हो तो मैं बोला बहन चूसती तो ऐसे है जेसे पहले कई लंड चूसे है तूने ओर अपने भाई को भी बता दे किस किस की रंडी बनी है और किसका बिस्तर गर्म किया है मेरी बहन ने तो वो बोली भैया कैसी बात करते हो ऐसा कुछ नही है तो मैं बोला शेली झूठ मत बोल अब तो तू मुझे बता सकती है इसमें छिपाने वाली बात ही नही है तो शेली बोली भैया मेरी क्लास मैं एक लड़का है साहिल जो आपकी बहन को लंड चुसवाता है पर आपके जेसे थोड़े जो मेरे गले तक डाल दिया मेरी सांस रुक गई थी तो मैं बोला कभी चूत भी मरवाई मेरी बहन ने उससे तो वो बोली कभी मोका नही मिला तो मैं बोला पहले मैं तेरी चूत खोल दूँ.
फिर अपने यार को घर ले आना ओर यही चुदना मेरे सामने मैं चुप हो कर तुम दोनो की चुदाई देखूँगा तो शेली भी खुश हुई ओर फिर से मेरा लंड चूसने लगी थोड़ी देर बाद मेने शेली को बेड पर लेटाया ओर अपने लंड को चूत पर रगड़ने लगा शेली बोली क्यो तड़पाते हो अपनी रंडी बहन को भैया डाल दो अंदर तो मेने लंड के टॉप को अपनी बहन की चूत पर सेट किया ओर ज़ोर का झटका मारा मेरा लंड मेरी बहन की चूत की सील तोड़ता हुआ आधा अंदर चला गया ओर मेरी बहन ज़ोर से चिल्लाई ओर मुझे धक्के से पीछे करने लगी मेने भी शेली को अच्छे से पकड़ा था जिससे वो पीछे ना हटा सकी शेली मुझसे लंड बाहर निकालने को बोली लेकिन मेने अंदर ही रहने दिया ओर हल्के हल्के झटको से साथ अपनी चुदक्कड बहन को चोदने लगा शेली आअहह उूउउइइ भैया बाहर निकाल लो प्लीज भाई आअहह करती रही.
थोड़ी देर मैं अपनी बहन को ऐसे ही चोदता रहा तो मेरी चुदक्कड बहन को मज़ा आने लगा वो ऊऊहह भाई थोड़ा ओर अंदर करो ना भाई आअहह भाई मज़ा आ रहा है तो मैं बोला मेरी रंडी बहना कहे तो पूरा दे दूँ तेरी चूत मैं तो वो बोली हाँ भाई दे दो ना प्लीज पूछते क्यो हो ओर मेने अपना थोड़ा लंड बाहर निकाला ओर पूरा ज़ोर का झटका मारा लंड मेरी बहन की चूत मैं पूरा चला गया शेली बहुत ही ज़ोर से चिल्लाई मेने 2 या 3 झटके ही मारे थे जब मेने अपनी बहन की चूत देखी तो वहा पर खून लगा था.
शेली की सील पेक चूत की सील टूट चुकी थी ओर उसकी आँखो मैं पानी था ओर आँखे बंद थी और मैं ऐसे ही अपना लंड अपनी बहन की चूत मैं डाल कर धीरे धीरे झटके मारता रहा शेली ऊऊहह आअहह उउउइइ भैया दर्द हो रहा है प्लीज रुक जाओ आहह करने लगी मैं भी थोड़ा रुक गया ओर शेली के बूब्स मसलने लगा ओर लिप किस करता रहा शेली को थोड़ी राहत मिली तो मेने शेली से पूछा की चुदाई स्टार्ट करूँ तो बोली हाँ भैया मारो अब चूत मैं दर्द नही है पूरी तेज़ी से चोदना अपनी रंडी बहन को मेने ये सुनते ही झटके मारने स्टार्ट कर दिये ओर तेज झटको से अपनी रंडी बहन की चूत मारने लगा शेली मज़े से आहह ऊऊहह हमम्म भैया आअहह मारो ओर तेज़ी से मारो भाई फाड़ दो आज अपनी बहन की चूत को आआहह मज़ा आ रहा है भाई और  मेरे बहनचोद भाई ऊओह मारते रहो करने लगी.
मैं भी अपनी रंडी बहन को गांली देते हुये चोदने लगा मेरी बहन झड़ने वाली थी आअहह बहनचोद मैं झड़ रही हूँ अपना माल मेरी चूत मैं डाल मेरी चूत की प्यास बुझा दे मेरे बहनचोद भाई आहह ऊऊहह करते हुये झड़ गई और मुझे मेरे लंड पर अपनी बहन की चूत से निकला पानी महसूस हुआ ओर मैं तेज झटके मारता रहा चूत से फूचफूच फुचा फूच की आवाज़े रूम मैं गूँजने लगी मेरी चुदक्कड बहन बोली भाई बस करो मैं झड़ गई हूँ आप भी झड़ो अब आहह भाई प्लीज़ ओर मैं ओर तेज हो गया आआहह रंडी कुत्तिया तुझे तो मैं अपने बच्चे की माँ बनाऊंगा साली रंडी आअहह मेरा माल तेरी बच्चेदानी मैं निकल रहा है रंडी मेरी बहन आअहह करते हुये झड़ गया.
मेरे लंड से वीर्य की गर्म धार मेरी छोटी रंडी बहन की बच्चेदानी मैं निकल गई मैं 5 मिनिट तक शेली के उपर लेटा रहा थोड़ी देर बाद मेरी बहन बोली भाई ऐसा भी करता है अपनी बहन के साथ जो आपने किया है मेने क्या किया है साली तू खुद ही कह रही थी ओर तेज ओर तेज अब बोल रही है ऐसा भी करता है कोई भाई साली अभी तो तुझे मेरे सामने अपने यार से चुदना है बोल चुदेगी ना तो वो बोली हाँ भैया ज़रूर हमें मोका मिल जाये बस आपके सामने मैं अपने यार की रंडी बनूँगी वो भी इसी बेड पर. तो दोस्तो आगे की स्टोरी मैं आपसे जल्द ही शेयर करूँगा.

फ़ोन से चुदाई तक


हैलो दोस्तो, मैं इस कहानी से आपको बताना चाहता हूँ कि जब प्यार किसी से होता है तो वो शक्ल-सूरत से नहीं होता है. यह उस समय की बात है जब मैं बी. टेक के दूसरे साल में था.
मेरे दोस्त ने एक फ़ोन नंबर दिया और कहा- इस लड़की से बात करो.
वो लड़की उसकी दूर की रिश्तेदार थी.
मैं उससे बात करने लगा और तीन महीने बीत गए, मेरे दोस्त ने बोला- तू इसे प्रपोज कर देना.
तो मैंने ऐसा ही किया पर उस लड़की ने मना कर दिया. मगर उससे पहले मेरी बात उसी की सहेली से उसी के फ़ोन से हुई, वो लड़की बहुत सख्त स्वाभाव की थी.
वो बोली- तुम्हें कोई काम नहीं है बस लड़कियों के पीछे भागते हो.
मुझे लगा कि वो मेरी हँसी उड़ा रही है और मुझे परेशान कर रही है.
मैंने कहा- फोन पर बात करने का मतलब पीछे भागना नहीं होता और हम लोग दोस्त हैं. इसलिए बात करते हैं तुमसे कोई बात करता नहीं होगा इसलिए तुम हमारी बातचीत से जलती हो.
उसके दिल को यह बात चुभ गई उसने कहा- तुम कितनी देर तक बात कर सकते हो?
मैंने कहा- तुम्हारे फ़ोन की बैटरी ख़त्म हो जाएगी पर मेरा बैलेंस ख़त्म नहीं होगा.
तो उसने भी मजा लिया और अपनी सहेली से भी कह दिया- इस लड़के को और परेशान कर और देख कि इसके पास कितना बैलेंस है.’
तो वो मुझसे बात करने लगी. ऐसे कई दिन बीत गए वो लड़की मुझसे बात तो करती थी मगर वो अन्दर से दुखी रहती थी.
मैंने जब पूछा, तो उसने कहा- मेरी बहन की डेथ हो गई है इसलिए दुखी हूँ.
तो मैं उससे प्यार से बात करने लगा और हँसाने की कोशिश करता था. वो मेरी बातों से हँसने भी लगती थी.
अगस्त से अक्टूबर तक हमारी बात हुई और उसके बाद मैं दीपावली पर अपने घर गया.
उसका घर मेरे घर से तीस किलोमीटर दूर था, तो मैंने उसे बुला लिया और हम लोग थिएटर में मूवी देखने गए. वहाँ मैंने ‘अनजाना अनजानी’ मूवी की टिकट ली और अन्दर जाकर सबसे पीछे की सीट पर बैठ गए. करीब आधा घंटा हो गया, मुझे डर लग रहा था कि अगर मैंने कुछ किया तो ये नाराज़ हो जाएगी और चली जाएगी, मगर हिम्मत करके मैंने उसके गालों पर एक चुम्बन कर लिया.
उसने एकदम से मुझे हटा दिया पर कुछ कहा नहीं, थोड़ी देर बाद मैंने उसके होंठों को चूमा और पूरे जोश के साथ करता ही रहा. वो काफी विरोध करती रही, मगर थोड़ी देर बाद मान गई और कुछ नहीं बोली.
मेरी हिम्मत और बढ़ गई, फिर मैंने उसकी सलवार में हाथ डाल दिया और देखा कि वो काफी गर्म हो चुकी थी. उसकी चूत में काफी पानी आ गया था. मैंने उंगली डाल दी और वो कराहने लगी, काफी देर तक ऊँगली चलाई और उसने मुझे कस कर जकड़ लिया और गरम-गरम सांसें छोड़ने लगी थी.
अचानक वो उठ गई और चलने लगी, मैंने हाथ पकड़ लिया और कहा- अब कुछ नहीं करूँगा.
तो वो बैठ गई और फिर पूरी फिल्म देखी. फिर मैंने उसे उसके घर छोड़ दिया और अगले दिन मिलने का वादा किया मगर उसने मना कर दिया.
तो मैंने कह दिया- ठीक है.. अब कभी भी नहीं मिलूँगा.
तो वो मान गई.
अगले दिन मैंने प्लान बना लिया कि चोदना जरूर है तो मैंने हॉस्टल की चाभी ली, क्योंकि मैं उस हॉस्टल में रहा था और सीनियर था तो किसी की हिम्मत नहीं थी जो कुछ कोई कहता और वार्डेन से भी मेरी पहचान थी तो मैं उसको बहाने से अपनी बाईक पर ले आया और हम कमरा खोल कर बैठ गए.
थोड़ी देर बाद मैंने दरवाजा बन्द कर दिया तो वो बोली- ये सिटकनी क्यूँ लगा दी?
तो मैंने कहा- कोई आ न जाए और हमें देख न ले.
तो वो बोली- क्या देख लेगा?
मैंने कहा- मुझे चुम्बन करना है.
उसने कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा.
तो मैंने कहा- प्यार करता हूँ यार.
फिर भी तो वो चुप हो गई और मैंने उसे बाँहों में भर लिया और वो कसमसाने लगी. मैंने उसके होंठों पर चुम्मियों की बौछार कर दी, वो थोड़ी देर ही विरोध करती रही फिर पटरी पर आ गई. फिर मैंने उसे लिटा दिया और उसके दूध पकड़े और जोर से दबा दिए.
वो चिल्ला उठी- उई..
पर मैं अब कोई परवाह न करते हुए उसके ऊपर चढ़ गया और उसे चूमने लगा.
वो भी हल्के विरोध के साथ सब करवाती रही और मैंने उसकी सलवार में ऊँगली डाल करके आगे-पीछे करने लगा और देखा कि लौंडिया बहुत काफी गर्म हो गई है तो मैंने उसके सब कपड़े उतार दिए. अब मैंने उसकी चूत का मुआयना किया तो एकदम लाल थी, मैंने पहली बार चूत देखी थी. मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए अब ज्यादा देर न करते हुए मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा.
वो सिसकारियाँ भर रही थी, मैंने थोड़ा सा झटका दिया तो वो उछल गई और कहने लगी- दर्द हो रहा है..!
मैंने कहा- थोड़ा सा होगा.
मैंने कस कर पकड़ लिया और जोर का झटका दिया मगर लंड फिसल गया.
मगर तीन-चार बार कोशिश की और मैंने उसके कन्धों को कस के पकड़ लिया, क्योंकि मैं जानता था कि वो फिर उछल जाएगी. अब कसके धक्का दिया तो केवल दो या तीन इंच ही अन्दर गया होगा. वो बिलबिला उठी तो मैंने उसके होंठों को अपने होठों से दबा लिया और कुछ देर रुक गया.
जब वो कुछ शांत पड़ गई तब एक जोर का झटका फिर से दिया. उसने मुझे दूर हटाने की अपनी पूरी ताकत लगा दी मगर मर्द की ताकत के आगे औरत की ताकत नहीं कि वो जीत जाए, सो पड़ी रही और रोने लगी. मगर करीब दो मिनट के बाद उसे आराम मिल गया.
अब मैंने उसकी चूत पर अपना पूरा जोर लगा दिया और लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर जा फंसा.
वो बेहोश सी हो गई, फिर मुझे थोड़ा और इंतजार करना पड़ा कि वो थोड़ी सामान्य हो जाए. उसे सामान्य होने में यही कोई 4-5 मिनट लगे होंगे, मैंने नीचे देखा तो चूत खून छोड़ रही थी. मैंने उसे देखने नहीं दिया और अब झटके मारने चालू कर दिए.
अब वो बिलकुल सामान्य हो गई थी और आराम से लंड के झटके ले रही थी. पहली बार में वो और मैं जल्दी झड़ गए.
मगर थोड़ी देर बाद दुबारा मैंने लंड के झटके बरसाने चालू कर दिए इस बार वो खूब चुदी और करीब 25 मिनट बाद झड़ी, मगर मैंने झटके चालू रखे और वो अब मना करने लगी.
मगर मैंने छोड़ा नहीं और दस मिनट तक उस पर बरसा और अलग हुआ तो वो कुछ मिनट तक बिस्तर पर पड़ी रही और फिर उसने अपनी चूत देखी तो वो काफी सूज गई थी और थोड़ा खून भी लगा था.
तो वो बोली- मेरी फट गई है.
मैंने कहा- नहीं फटी नहीं है… खुल गई है.
वो तो रोती ही रही, इसके बाद मैंने उसे चुम्बन किया, मगर उसने साथ नहीं दिया, क्योंकि वो अभी भी शरमा रही थी. फिर मैंने उसे घर छोड़ दिया अब मैं अक्सर उसे चोदता हूँ और अब वो भी मेरा बराबर साथ देती है.
मैंने उसे अपने कमरे पर दो बार बुलाया है और एक बार उसने मेरे साथ लगातार पांच रातें गुजारी हैं.
उन 5 रातों में हम दोनों चुदाई से मस्त हो चुके थे, मगर अब मैं उससे दो या तीन महीनों में ही मिल पाता हूँ क्योंकि मैं उससे 300 किलोमीटर दूर रहता हूँ और फोन पर उससे बराबर बात होती है.

Friday, June 26, 2015

आखिर चुद ही गई नखरीली साली

मेरा नाम सचिन है, मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ीं और मज़ा लिया तो सोचा कि अपनी भी एक कहानी मैं लिख दूँ।
मेरी उम्र 34 साल है, मैं घर का अकेला पुरुष हूँ।
मेरी शादी हो गई है और भगवान ने मुझे तीन सालियाँ दी हैं।
मेरी तीनों सालियों की उम्र क्रमशः 22, 21, 19 वर्ष है।
दूसरे नम्बर वाली गजब का माल है, पर वो मेरे हाथ नहीं आई इसलिए मैंने पहले नम्बर वाली सोनू को लाइन मारना शुरू किया, वो भी एकदम अनछुई कली थी।


मेरी पत्नी की डेलिवरी के लिए मैं उसे गाँव से अपने घर मुंबई ले आया।
मैंने सोचा कि यहाँ बीवी की मदद भी हो जाएगी और शायद मेरा काम भी बन जाए।
तीन महीने में हम सब सामान्यत: रहने लगे।
धीरे-धीरे मैंने उस सोनू पर हाथ लगाना शुरू कर दिया, वो भी कुछ नहीं बोलती थी, मज़ाक-मज़ाक में मैं उसके मम्मों को दबा देता, तो वो भाग कर चली जाती।
घर पर हमेशा कोई ना कोई रहता था, इसलिए भरपूर मौका नहीं मिल पा रहा था।
इस तरह से चार महीने बीत गए।
दिन ब दिन वो खूबसूरत और मादक होती जा रही थी।
मेरा हाल बुरा था.. पता नहीं कितनी बार उसके नाम की मूठ मार चुका था। आखिरकार फिर वो दिन आ ही गया, जिसका मुझे इंतजार था।
मेरी पत्नी को मैंने डलिवरी के लिए अस्पताल में भर्ती कर दिया।
मुझे मालूम था कि अस्पताल से 2-3 दिन बाद ही मेरी बीवी घर आएगी, चौका मारना है तो यही मौका है।
उस रात घर में पिताजी, मैं और साली ही थे। माँ को मैंने अस्पताल में बीवी के पास रहने को कहा।
पिताजी को काम पर जाना था, इसलिए हाल का टीवी बंद कर दिया।
मैंने जानबूझ कर मेरे कमरे का टीवी चालू रख दिया। मेरी साली सोनू थोड़ी देर बाद मेरे कमरे में ही आ गई।
मैं बहुत खुश हो गया, मैंने लाइट बंद कर दी और दोनों बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे।
फिर सोनू लेट कर टीवी देखने लगी।
कुछ देर बाद वो सो गई या नाटक कर रही थी मुझे पता नहीं..
मेरे पास ये पता करने का एक रास्ता था, मैं भी उसके बगल में लेट गया, उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी, मैं धीरे-धीरे उससे चिपक गया।
मैंने अपना हाथ उसके मम्मों पर रख दिया, फिर एक पैर उसके चूतड़ों पर रख दिया, मेरा लण्ड उसकी गाण्ड की दरार में चिपक गया।
धीरे-धीरे मैं उसके मम्मों को दबाने लगा।
फिर अपना हाथ उसके कुरते के अन्दर डाल दिया और उसके मदमस्त कबूतर दबाने लगा।
उसकी तरफ़ से कोई विरोध या प्रतिक्रिया नहीं आ रही थी।
मैंने अपना काम और ज़ोर से शुरू कर दिया, उसके दोनों मम्मों की मालिश शुरू कर दी, मुझे पता था कि अगर यह एक बार गर्म हो जाए, तो इसको पेलने में आसानी होगी।
मैंने उसे अब सीधा कर दिया और उसके ऊपर आकर उसके मम्मों को चूसने लगा, बहुत सारी जगह चुम्बन किए।
मुझे पता था कि अब वो जाग चुकी है और मजा ले रही है।
मैंने सोचा चलो ‘ट्वेंटी-ट्वेंटी’ खेल लेते हैं, मैंने उसका नाड़ा खोल दिया और उसकी चूत सहलाने लगा।
उसकी योनि पर मुलायम बाल थे, पर फिर भी योनि एकदम चिकनी थी।
मेरा जिस्म अब कांपने लगा था, मैंने अपना काम और ज़ोर से चालू कर दिया।
अब अकेले मैं ये काम करना नहीं चाहता था, मैंने उसकी चूत के छेद में ऊँगली डालने की कोशिश की, उसमें मुझे गीलापन मिला।
मैं समझ गया कि अब रास्ता साफ़ है।
यह साली सोनू जाग रही है और मज़ा ले रही है।
मैं अपना लण्ड उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा।
उसकी साँसें और तेज हो गई थीं।
मैं खुश था कि आज फिर कुँवारी चूत मिलेगी।
मेरे लण्ड से भी पानी आ रहा था।
बस अब उसकी चूत चोदना बाकी रह गया था।
अचानक वो बोली- ये क्या कर रहे हो… ऐसा मत करो…
वो ज़ोर-ज़ोर से बोलने लगी।
मैंने जबरन उसे चोदना चाहा, पर वो ज़रा भी घुसाने नहीं दे रही थी। थोड़ी देर की कुश्ती के बाद मुझे उसे छोड़ना पड़ा।
वो बहुत नाराज़ लग रही थी। शायद पहली बार किसी ने उसे इतना रगड़ा था और वो डर भी गई थी।
पिताजी भी दूसरे कमरे में आ चुके थे इसलिए मैं उससे ज्यादा बहस नहीं कर सकता था।
वो नाराज़ हो कर लेट गई।
मैं भी अब डर गया कि अब क्या होगा?
रात भर मैं और शायद वो भी सो नहीं पाई।
अगली सुबह क्या होगा पता नहीं, मेरी तो फट रही थी। मैं उसे चोद देता तो शायद वो किसी से नहीं बताती, पर अब सब फेल हो गया था।
मैंने डर के मारे आज मूठ भी नहीं मारी और सुबह के बारे में सोचने लगा। सुबह मैंने उसे फिर पकड़ लिया और उसके मम्मों को दबाना शुरू किया, इस बार भी वो कुछ नहीं बोली।
ऊपर-ऊपर से मैंने उसे बहुत गर्म किया, पर चूत में डलाने पर इस बार भी फिर वही गुस्सा।
मैंने उसे बहुत मनाया, पर वो नहीं मानी और कहा कि वो ये सब दीदी को बता देगी।
मेरी फिर फट गई, मैं समझ नहीं पाया कि वो चाहती क्या है?
दोस्तों मेरी यह कहानी सौ फ़ीसदी सच है और ये आप अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं। करीब 15 दिन बाद मुझे फिर मौका मिला।
अबकी बार मैंने सोच लिया था कि साली को आज नहीं छोडूंगा और मैंने उसे अकेले में मौका पाकर पकड़ लिया।
उसने फिर मुझसे कुछ नहीं कहा, आज घर में कोई नहीं था।
मैंने उसको कहा चल तू देती तो है नहीं… आज मेरे साथ पार्टी कर ले।
वो बोली- कैसी पार्टी?
मैंने उससे कहा- आज हम लोग कहीं बाहर चलते हैं और बाहर ही खाना खायेंगे।
वो राजी हो गई।
मैं उसे लेकर एक होटल में गया और उससे पूछा- बीयर तो चल जाएगी।
उसने ‘हाँ’ में सर हिला दिया मैंने वेटर को तेज वाली बीयर लाने को कहा।
कुछ देर बाद उसको नशा सा चढ़ने लगा। वो बोली- जीजू.. मुझे सहारा दो मुझे चक्कर से आ रहे हैं।
मैंने वेटर को बुलाया और एक कमरा देने के लिए कहा।
उसने मुझे तुरन्त एक कमरा दे दिया।
मैंने उसे कमरे में ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया और अपने पूरे कपड़े उतार दिए।
फिर मैंने उसकी तरफ देखा, वो मुस्कुरा रही थी।
मैंने उसकी आँखों की भाषा को समझ लिया और उसको सहारा देकर उठाया और अपने सीने से लगा लिया।
वो मुझसे आज चिपक गई मैं उसकी इस हरकत से चकरघिन्नी था।
मैंने सर को झटकाया और सोचा… माँ चुदाए.. मुझे क्या पर आज साली की चूत तो फाड़ कर रहूँगा।
मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए।
हाय क्या कबूतर थे।
साली को पूरी नंगी देख कर मेरा लवड़ा नब्बे डिग्री पर खड़ा हो गया था मैंने उसके मम्मों को अपनी मुठ्ठियों में भरा।
वो कराही- क्या उखाड़ डालना है इनको?
मैंने आज देर करना उचित नहीं समझा और उसको बिस्तर पर धक्का दिया और उसके ऊपर चढ़ गया। लौड़े को चूत के मुहाने पर सैट किया और अपना मुँह उसके मुँह पर रखा। सब कुछ सैट होने के बाद मैंने उसकी चूत में लवड़ा सरका दिया।
वो कुछ चीखने को हुई पर मैंने मुँह पहले से ही ढक्कन जैसे लगा रखा था।
कुछ छटपटाने के बाद लौड़ा चूत में सैट हो ही गया।
उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था, लौड़े ने सटासट चुदाई आरम्भ कर दी।
करीब दस मिनट में ही साली अकड़ गई और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। कुछ ताबड़तोड़ धक्के मार कर मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया।
सोनू चुद चुकी थी। अब वो मेरे लौड़े की पक्की जुगाड़ बन चुकी थी।

Thursday, June 25, 2015

जवान लड़की की चुदाई की

हैल्लो दोस्तों.. में मयंक एक बार फिर से आप सभी के सामने अपनी एक नई कहानी लेकर आया हूँ.. दोस्तों यह कहानी मेरी, स्नेहा और मधु की है और अब में उन दोनों के बारे में कुछ बताता हूँ. एक लड़की का नाम स्नेहा, उसकी उम्र 32 साल है और उसके फिगर का साईज 34 -28 -34 है और दूसरी लड़की का नाम मधु, उसकी उम्र 29 साल है और उसके फिगर का साईज 40- 38- 42 भरा हुआ जिस्म और वो दोनों दिखने में एकदम मस्त थी. दोस्तों मुझे बहुत दिनों से स्नेहा के मैल आ रहे थे और में उसे लगातार जवाब दे रहा था. फिर लगभग 15 दिनों के बाद एक दिन उसने मुझे बताया कि में गुडगाँव में रहती हूँ और तुमसे मिलना चाहती हूँ.
फिर मैंने उससे पूछा कि कब? तो उसने मुझे विस्तार से बताया कि वो अपने सास, ससुर के साथ रहती है और उसके पति बाहर अमेरिका में रहते हैं और उसने कहा कि वो अपनी एक दोस्त मधु के घर पर मिलेगी. तो मैंने कहा कि ठीक है और उसने मुझे अपना मोबाईल नंबर मैल कर दिया. तो मैंने उसे कॉल किया और उससे मिलने का टाईम दोपहर के एक बजे शुक्रवार का तय किया और मैंने उसे अपने चार्जस भी बता दिए थे. फिर में शुक्रवार को उसे फोन करके बताए हुए पते पर पहुँच गया और मैंने जब दरवाजे पर बेल बजाई तो मधु ने दरवाजा खोला ..दोस्तों मैंने देखा कि मधु बहुत सुंदर थी? और में तो उसे देखता ही रह गया. फिर उसने मुझसे पूछा कि किससे मिलना है? तो मैंने उसे अपना कोड बताया जो कि मैंने स्नेहा को दिया था.. जिससे हम एक दूसरे को पहचान सके कि जिससे हम बात कर रहे है वो सही इंसान है या नहीं. फिर उसने भी कोड बोला और पूछा कि क्या आप मयंक हो? तो मैंने कहा कि हाँ में ही मयंक हूँ और मैंने पूछा कि आप स्नेहा जी है? तो उसने कहा कि नहीं आप अंदर आकर बैठिये वो आने ही वाली है वो किसी काम में फंसी हुई है और थोड़ी देर में आ जाएगी.
तो में उसके साथ अंदर चला गया और वो मुझे सीधा अपने बेडरूम में ले गयी और कहा कि आप यहाँ आराम से बैठो और बताईये क्या लेंगे आप? तो मैंने कहा कि कुछ भी.. तो वो अंदर गई और दो बियर ले आई और हम दोनों ने साथ में बैठकर बियर पी और में बेड पर आराम करने के लिए लेट गया. तो वो भी मेरे साथ ही लेट गयी और थोड़ी ही देर बाद वो मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरा लंड सहलाने लगी. तो मैंने कहा कि मुझे यहाँ आपने बुलाया है या स्नेहा ने? तो वो बोली कि में जो कर रही हूँ मुझे करने दो.. तुम्हे जो चाहिए वो तुम्हे मिल जाएगा. फिर मैंने सोचा कि मुझे तो अपने काम से मतलब है फिर चाहे वो मधु हो या स्नेहा और मधु भी बहुत सुंदर थी. तो वो मेरे एक-एक करके सभी कपड़े खोलने लगी और फिर उसने मेरे लंड को बाहर निकाला और उस पर कंडोम चड़ा दिया.. वो उसे पकड़कर धीरे धीरे सहलाते हुए उसे चूसने भी लगी. फिर मैंने भी उसके कपड़े उतारने शुरू किए और उसके बूब्स देखकर तो में हैरान ही रह गया.. इतने सुडोल और कसे हुए बूब्स मैंने कभी नहीं देखे और में उसके बूब्स चूसने लगा.. वो सिसकियाँ लेने लगी.
वो अब धीरे धीरे पूरी तरह गरम हो रही थी और कुछ बियर का सुरूर भी था. तो मैंने एक हाथ से उसकी जांघे सहलानी शुरू की तो वो और भी पागल हो गयी.. वो पूरी गरम हो चुकी थी. तभी इतने में मधु के पास स्नेहा का फोन आ गया और उसने फोन पिक किया तो स्नेहा ने पूछा कि क्या मयंक आ गया? तो उसने कहा कि हाँ.. तो स्नेहा बोली कि अपना गेट खोल में भी बाहर ही खड़ी हूँ. तो मधु पूरी नंगी ही गेट खोलने के लिए चली गयी और जब वापस आई तो स्नेहा भी उसके साथ थी.. वो भी क्या ग़ज़ब सेक्सी माल थी? तभी उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा कि क्यों मेरे बिना तुम दोनों ही शुरू हो गये? तो मधु बोली कि नहीं इतनी देर से तेरा इंतज़ार ही कर रहे थे और हमने बस अभी ही शुरू किया है. फिर स्नेहा ने भी अपने कपड़े उतार दिए.. उसको देखकर में और गरम हो गया.. क्योंकि वो भी मधु से किसी भी तरह कम नहीं थी.. बस मधु थोड़ी बहुत मोटी थी और वो स्लिम.. लेकिन मधु ने अपने आपको सही तरह से मेंटेन किया हुआ था.. इसलिए थोड़ी मोटी होने के बाद भी वो स्नेहा से किसी भी तरह कम नहीं थी. फिर स्नेहा मेरे पास आकर मुझे किस करने लगी और में भी उसे पूरा पूरा साथ देने लगा और मधु मेरे लंड से खेलने लगी और चूसने लगी.. में स्नेहा को किस भी कर रहा था और उसके बूब्स भी दबा रहा था.
फिर कुछ देर बाद हम तीनो ही पूरी तरह से गरम हो चुके थे और पूरे कमरे में सिर्फ़ किस की और सिसकियों की आवाज़ आ रही थी. फिर उन्होंने अपनी पोज़िशन बदल ली.. अब स्नेहा मेरे लंड को चूस रही थी और मधु मुझे किस कर रही थी और में उसके बूब्स दबा रहा था.. दोस्तों जैसा मैंने पहले ही आपको बताया है कि उसके बूब्स बहुत बड़े थे और बहुत मुलायम थे. दोस्तों वैसे मुझे मोटे बूब्स बहुत अच्छे लगते हैं और मुझे भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था. फिर मधु सिसकियाँ लेने लगी अह्ह्ह उह्ह और तभी स्नेहा ने मुझसे बोला कि आओ मयंक किसका इंतजार है चोदो मुझे.. मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और उसके दोनों पैरों को खोलकर उसकी चूत पर हाथ घुमाने लगा.. वो बहुत गरम हो गयी. तो वो बोली कि चोदो मुझे.. अब मुझसे इंतजार नहीं होता प्लीज. तो मैंने कहा कि डियर अभी तो मेरा काम शुरू ही हुआ है तुम थोड़ा मज़ा तो लो और मैंने अपने होंठो को उसकी चूत पर रख दिया.. वो पागल सी हो गई और ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी.
फिर 5 मिनट तक उसकी चूत चाटने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक ज़ोर का धक्का देकर पूरा लंड अंदर डाल दिया और जल्दी जल्दी लंड को उसकी चूत में आगे पीछे करके चोदने लगा.. लेकिन अगले दो मिनट के बाद ही वो झड़ गयी.. क्योंकि वो बहुत ज़्यादा गरम थी. फिर में साईड में लेट गया और मधु मेरे ऊपर चड़ गयी और अपनी चूत को मेरे लंड पर रखकर धक्के लगाने लगी. में उसके मोटे मोटे बूब्स को दबा रहा था और उसे नीचे से धक्के लगाकर अपना पूरा पूरा साथ भी दे रहा था. तभी वो कहने लगी कि मयंक आज से पहले मुझे चुदाई में इतना मज़ा कभी नहीं आया. तुम बहुत अच्छे से चुदाई करते हो.. तुमने तो मेरी चूत को ठंडा ही कर दिया और में तुम्हारी इस चुदाई से बहुत खुश हूँ. दोस्तों मैंने ऐसा कुछ जादू नहीं किया था.. वो तो उसका पति कभी भी उसे ठीक तरह से नहीं चोद पाता था और वो उसे अब तक माँ भी नहीं बना सका था. तभी उसने मुझसे बोला कि तुम कंडोम उतारकर मेरी चूत के अंदर ही अपना वीर्य डाल दो.. क्योंकि में माँ भी बनना चाहती हूँ. तो मैंने उससे कहा कि मुझे माफ़ करना जानू.. लेकिन में बिना कंडोम के कभी भी चुदाई नहीं करता.
फिर उसने मुझे बहुत समझाया कि उसने कभी किसी का लंड नहीं लिया है और तुम पूरी तरह से सुरक्षित हो.. तुम्हे डरने की जरूरत नहीं है और उसने मुझे उस काम के लिए अलग से भी बहुत कुछ देने का वादा किया. तो तब जाकर मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकालकर कंडोम को निकाल दिया और फिर से लंड को उसकी चूत के अंदर डालकर चुदाई शुरू कर दी.. तभी हम दोनों को देखकर स्नेहा को फिर से जोश आने लगा और उसने अपनी चूत मेरे होंठो पर रख दी और अब मधु मेरे ऊपर चड़ी हुई धक्के लगा रही थी और स्नेहा अपनी चूत चटवा रही थी. थोड़ी देर में ही मधु की स्पीड बड़ गयी और में समझ गया कि शायद वो झड़ने वाली है और अब मेरा भी काम खत्म होने वाला था. तभी वो एक ज़ोरदार चीख के साथ झड़ गयी और में भी उसके साथ ही झड़ गया.. स्नेहा भी बस झड़ने ही वाली थी और फिर मैंने उसे लेटाकर उसकी चूत चाटनी शुरू की और उसके बूब्स भी मसलने लगा.
तो 4-5 मिनट में ही स्नेहा फिर से झड़ गयी और वो दोनों पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी. उन्होंने मुझे मेरी पेमेंट दी और मधु ने कहा कि तुम्हे अभी 8-9 दिन तक रोज यहाँ पर आना पड़ेगा ताकि में गर्भवती हो जाऊँ. तो मैंने उससे कहा कि ठीक है और मैंने अगले 8 दिन तक उसे जमकर मज़ा दिया और आज वो दो महीने से गर्भवती है.. लेकिन मुझे नहीं पता कि उसने अपने पति से क्या कहा और क्या नहीं.. लेकिन वो मेरी इस चुदाई से बहुत खुश थी ..

नशीली चूत का रस....

बात उन दिनो की है जब मैं १२वीं की बोर्ड की परीक्षा देकर फ़्री हुआ था और रिजल्ट आने में तीन महीने का समय था। ये वो समय होता है जब हर लड़का अपने बढ़े हुए लंड के प्रति आकार्षित रहता है साथ-साथ बढ़ती हुई काली-काली घुंघराली झांटे उसका मन जल्दी से किसी नशीली चूत का रस पान करने को प्रेरित करती हैं। मैने फ़्री टाइम को सही इस्तेमाल करने के लिये एक इंगलिश स्पीकिंग कोर्स ज्वाइन कर लिया। हमारे घर से थोड़ी दूर पर एक नये इंगलिश कोचिंग सेंटर खुला था जहां मैं अपना एडमीशन लेने पहुंच गया। मेरे लौड़े की किस्मत अच्छी थी वहां जाते ही मेरा सामना एक कमसिन, अल्हड़, मदमस्त, जवान, औरत से हुआ जो पता चला वहां की टीचर है। उसके गोरे-गोरे तन बदन को देखते ही मेरा तो लौड़ा चड्ढी में ही उचकने लगा। उसकी खुशबूदार सांसो ने मन मे तूफ़ान पैदा कर डाला था। मन तो उसके तुरंत चोदने को कर रहा था पर क्या करता वहां तो पढ़ने गया था।

एडमीशन देते हुए वो भी मुझे आंखों ही आंखों में तौल रही थी। वो २७ साल की भरे बदन वाली मैडम थी। शादी-शुदा, उसकी दोनो बूब्स (चूचियां) आधा किलो की थी और उसके गद्देदार मोटे चूतड़ (गांड) उभार लिये संगमरमर की मूरत से तराशे हुए हिलते ऐसे लगते थे जैसे कह रहे हो- “आजा राजा इस गांड को बजा जा”

मैने एडमीशन लेकर पूछा “कितने बजे आना है मैडम?” वोह मुस्करा कर बोली “सुबह ७ बजे आना।” “साथ क्या लाना है?” “वो बोली एक कोपी बस”। मैं घर वापस आ गया पर सारी रात सुबह होने के इंतज़ार में सो न सका। रात भर मैडम की हसीन मुस्कान और चेहरा सामने था। मैं बार-बार उनके ब्लाउज़ में कैद उन दो कबूतरों का ध्यान कर रहा था जो बाहर आने को बेताब थे। उनकी चूत कैसी होगी? गुलाबी चूत पे काला सिंघाड़ा होगा, उनकी चूत का लहसुन मोटा होगा या पतला, मुलायम मीठा या नमकीन, कितना नशा होगा उनके चूत के रस में? उनकी बुर की फांके गुलाब की पत्तियों सी फैला दूं तो क्या हो? ये कल्पना और मदहोश कर रही थी जिससे मेरे लंड फूल कर लम्बा और मोटा हो गया था और मेरी चड्ढी में उसने गीला पानी छोड़ दिया।

अगले दिन सुबह, जल्दी से नहा कर मैं इंगलिश की कोचिंग में टाइम से पहुंच गया। उस क्लास में और भी कुछ हसीन लड़कियां थीं। कुछ खूबसूरत शादी-शुदा औरतें भी थी जो हाई क्लास सोसाइटी में अपनी धाक जमाने के लिये इंगलिश सीखना चाह रही थीं ताकि हाई क्लास की रंगीनियों का मज़ा उठाया जा सके। मैं पीछे की सीट पर बैठ गया। थोड़ी देर में मैडम वहां आयी और गूड मोर्निंग के साथ मुझ पर नज़र पड़ते ही बोली –“तुम आगे आकर बैठो”। उनके कहने पर मैं आगे की सीट पर बैठ गया। वो सबको अपना परिचय हुए बोली – हाय मै निशा हूँ। अब आप लोग अपना परिचय दीजिये। हम सबने अपना-अपना परिचय दिया। फिर वो ब्लैक बोर्ड की तरफ़ मुड़कर लिखने लगी। जैसे ही वो मुड़ी उनकी गांड मेरे सामने थी और मन फिर उनकी गांड मारने के ख्याल में खो गया। क्या करुं जवानी १८ साल की कहां शांत रहती।

वो बहुत सुंदर लाइट कलर की साड़ी पहने थी। लाइट पिंक ब्लाउज़ के नीचे उनका काला ब्रा साफ़ दिख रहा था। साड़ी के पल्लु से उनकी चूची का बोर्डर ज़बान पे पानी ला रहा था। लालच मन में जगा रहा था। दोनो चुचियों के बीच की गहरी लाइन ब्रा के ऊपर से लंड को मस्ती दिला रही थी। वो मुड़ कर वापस क्लास को बोलने लगी ग्रामर के बारे में और मेरे एकदम पास चली आयी। मैं बैठा था और वो मेरे इतने करीब खड़ी थी कि उनका खुला पेट वाला हिस्सा मेरे मुंह के पास आ चुका था जिसमे से उनकी गोल-गोल गहरी टोंडी (नाभि) की महक मेरे नथुनो मे मीठा ज़हर घोल रही थी। फिर उनका पेन हाथ से गिरकर मेरे सामने टपक गया जिसे लेने वो नीचे झुकी तो दोनो चुचियां मेरे मुंह के सामने परस गये। उस दिन क्लास ऐसे ही चलता रहा। फिर जब क्लास खत्म हुआ तो जब सब चलने लगे तो मैडम ने मुझे रुकने को कहा। मैं अपनी कुरसी पर बैठा रहा। सबके चले जाने के बाद मैडम मेरे पास आयी और बोली-“ हेंडसम लग रहे हो” मैने कहा “थैंक यू”। तुम अभी क्या करते हो? मैं बोला- अभी १२वीं का एक्साम दिया है अब मैं फ़्री हूं। मैडम बोली –मतलब अब तुम बालिग (एडल्ट) हो गये हो।” “यस मैडम”, मैं बोला।

“हूऊऊऊउम……। वो कुछ सोच कर बोली, तुम्हारा केला तो काफ़ी काफ़ी बड़ा है। ‘केला???’ मैं समझ तो गया था कि मैडम मेरे लंड की तरफ़ इशारा कर रही हैं पर मैं अंजान बना रहा। मैने पूछा किस केले की बात कर रही हैं आप? “अरे अब इतने अंजान मत बनो मेरे राजा, तुम्हारा लौड़ा जो काफ़ी बड़ा है और जो इस पैंट के नीचे से फूल कर बाहर हवा खाने को बेताब है। शायद इसने अभी तक गुझिया (चूत) का स्वाद नहीं चखा। असल में मैं क्लास जल्दी पहुंचने के चक्कर में नहा कर पैंट के नीचे अंडरवेअर पहनना भूल गया था जिससे मोटा लौड़ा तन कर पैंट में अपनी छाप दिखा रहा था।

मैडम को फ़्री और फ़्रेंक होता देख कर मैने भी कह दिया “हां मैडम अभी तक किसी की चूत का स्वाद नहीं चखा है।” वो बोली शनिवार की सुबह ६ बजे मेरे घर आ सकते हो, मैं अकेली रहती हूं। दर असल मेरे पति नेवी में हैं और हमारे कोई औलाद नहीं हैं। तुम आजाओगे तो मुझे कम्पनी हो जायेगी। मैने फ़ौरन हामी भर दी। मैं जानता तो था कि मैडम को मेरी कम्पनी क्यों चाहिये थी। उनको अपनी बुर की खुजली मिटानी थी और फिर जब पति नेवी में गांड मराये तो पत्नी दिन भर जब टीचिंग से लौट कर आये तो चूत चोदने को कोई लौड़ा तो चाहिये ही। इसमे कुछ गलत नहीं हैं। हर औरत की, हर लौंडिया की चूत में गरमी चढ़ती है और उसकी चूत की आग सिर्फ़ और सिर्फ़ लंड ही शांत कर सकता है।

सारी रात मैडम का ध्यान कर मैं सो न सका। सुबह घड़ी में अलार्म लगा दिया ५ बजे का। मम्मी भी सुबह अलार्म की आवाज़ से उठ गयी और बोली इतने सुबह कहां जा रहे हो?? मैने कहा सुबह रोज़ अब मैं जल्दी उठ कर जोगिंग करने जाउंगा और फिर वहीं से क्लास अटेंड कर वापस आउंगा। अब उनसे क्या कहता कि मैडम की चूत की खुजली शांत करने जा रहा हूं। सुबह चाय पीकर मैं तुरंत टैक्सी कर मैडम के पते पर कोपी लिये पहुंच गया। डोरबेल की घंटी बजायी तो थोड़ी देर बाद मैडम ब्लैक नाइटी पहने मुस्करा कर दरवाजा खोलती नज़र आयी। उनके नाइटी के दो बटन ऊपर के खुले थे और ब्रा नहीं पहने होने के कारण दोनो चूचियां मुझे साफ़ दिख रहीं थीं। नीचे पेटीकोट भी नहीं था क्योंकि उन्होने मेरा हाथ कमर पे रख मुझे अंदर बुलाया जिससे उनका बदन मेरे हाथ में आ गया था।

सामने खुला हुआ सीना मेरे दिल की धड़कन बढ़ा रहा था। वो मुसकरा कर बोली अब ऐसे ही खड़े-खड़े मेरी सूरत देखते रहोगे या मुझे अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पे भी ले चलोगे। मेरी जवानी कबसे मोटे लंड की आग में जल रही है, मेरी जवानी के मज़े नहीं लूटोगे??? मैने तुरंत कोपी पास पड़ी टेबल पर फेंक दी और मैडम को झट से अपनी बाहों में उठा लिया। उनके खुले बाल मेरे हाथ पर थे और उन्होने मेरे होंठों को अपने लिप्स में कैद कर लिया। उनका बेडरूम सामने ही था। मौसम थोड़ा गरम था इसलिये मैं उनको पहले बाथरूम में ले आया जहां उनको थोड़ा नहला कर मालिश कर गरम कर सकुं।

मैने मैडम को बाथरूम में खड़ा कर दिया और फिर उनकी काली नाइटी के ऊपर से पूरा मांसल बदन दबाया फिर सहलाया। उनके हाथ ऊपर कर उनकी काली नाइटी धीरे से उतार दी। अब वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी। दूधिया बदन गोरी-गोरी-मोटी चूचियां और हल्के काले घुंघराले बालों के बीच गुलाबी मुलायम चूत। मैने शोवर चालु कर दिया पानी ऊपर से नीचे हर अंग को भिगो रहा था। मैने उनको चूमना चाटना शुरु कर दिया। होंठों से होंठ फिर गाल सब पर ज़बान फेर कर मज़ा देता गया। दोनो चूचियां बार बार दबा कर निप्पलों को मुंह में भर लिया। उनके पिंक निप्पल मोटे और बहुत सोफ़्ट थे। ज़बान निकाल कर गोल-गोल निप्पल पर घुमा कर चाट कर पिया। वो आअह्हह्हह…।।उह्हह्हह…ईईस्सस्सस…मज़ा आ गया बोली। और पियो ये निप्पल कब से तरस रहे थे कि कोई इनको पिये।

मैने कस कर चूची मर्दन किया दबा दबा कर निप्पलों उकेर कर दोनो निप्पलों पर जबान से खूब खुजली की। मैडम भी अपनी ज़बान निकाल कर मेरे ज़बान के साथ अपने निप्पलों चाट रहीं थी। उनकी चूचियां फूल कर बड़ी हो गयी थी और मैं नीचे उनके नाभि पर आ गया था। गोल नाभि की गहरायी नापने में २ मिनट लगा इससे पहले चूचियों का मसाज और निप्पलों को चूस कर १० मिनट तक उनको प्यार के नशे में डुबाता चला गया। इस क्रिया से मेरा लौड़ा भी नागराज की तरह फुंकारता हुआ खड़ा हो कर ७इंच का हो चुका था जिस पर मैडम का हाथ पहुंच गया था। मैने धीरे से मैडम को बाथरूम के फ़र्श पर लिटाया ताकि उनकी चूत खुल कर मेरे सामने आ सके और मैं उनकी गुलाबी गुझिया में उंगली डाल सकूँ।

मैं धीरे से उनकी चूत का रस पीने के इरादे से नीचे गया। उनकी झांटों पर पड़ी पानी की बूंदों ने मुझे उनके झांटों पर चांदी की तरह चमकती बूंदों को पीने की चाह जगा दी। मैं उनकी काली, मुलायम घुंघराली झांटों को अपने होंठों में कैद कर अपने लिप्स से पीने लगा। उनकी जब झांटें खिंचती तो वो अह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह……।।ऊऊऊऊऊह्हह्हह …।।ह्हहाईईइ………।ज्जज्जजाआअन्नन्नन्नन्नन्न…।।स्सस्सस्सस्सस्सस्सस्सस… करती जिससे मेरा लंड और कड़क हो जाता। उनकी झांटों से पानी साफ़ करने के बाद मैने दोनो उंगलियों से उनकी चूत की गहरायी को नापा मतलब दोनो उंगलियां अंदर गुलाबी छेद में डाल दी गहरायी तक। फिर ज़बान पास लाकर उनके चूत का सिंघाड़ा अपने मुंह में कैद कर लिया। करीब १० मिनट तक उनकी नशीली चूत का रस अपनी ज़बान से पीता रहा और उनकी गरम चूत में अपनी ज़बान चलाता रहा। ऊपर से नीचे फिर नीचे से ऊपर और फिर ज़बान को कड़ा कर अंदर बाहर भी। ज़बान से चूत रस चाटते वक्त मैने एक उंगली नीचे खूबसुरत से दिख रहे गांड के छेद पे लगा दी। उनको तैयार कर मैने अपना अंडरवेअर उतारा जिससे मैडम बाथरूम के फ़र्श पर उठ कर मेरे ऊपर मेरी तरफ़ गांड कर ६९ की पोजीशन में लेट गयी और मेरा लंड अपने मुंह में डाल लिया।

मैं मैडम की चूत मैं नीचे से पीछे से ज़बान डाल कर उनका रस चाटे जा रहा था और मैडम को मेरा गुलाबी सुपाड़ा बहुत मज़ा दे रहा था। वो बच्चो की तरह उसे चूसे जा रहीं थी। क्योंकि उनको लंड बहुत दिनो बाद नसीब हुआ था। मेरा तना लंड उनको बहुत मज़ा दे रहा था वो ५ मिनट तक मेरा लौड़ा अपने होंठों में कैद कर चूसती रहीं ज़बान से लंड के सुपाड़े को चाट-चाट कर लाल कर दिया था और लंड तन कर रोड की तरह पूरा कड़ा हो गया था पर मैडम छोड़ ही नहीं रहीं थी। मैने बोला मैडम मैं झड़ने वाला हूं तो उन्होने मुझे खड़ा कर दिया और खुद भी मेरे ऊपर से हट गयी। बोली-आओ राजा मेरी ज़बान पर गिरा दो। वो मेरे लंड के पास मुंह खोल कर ज़बान निकाल कर बैठ गयीं। मैने अपने हाथ से हिला कर जल्दी से अपना सारा गरम गरम शहद उनकी ज़बान पे गिराया जिसे उन्होने अपनी आंखे बंद कर जन्नत का मज़ा लिया। वो मेरे गरम वीर्य की आखिरी बूंद तक चाट गयी। फिर उन्होने अपना मुंह धोया और मुझे बोली अब मुझको बेडरूम में ले चलो राजा। मैं भी उनकी चूत चोदने को बेताब था।

मैने उनको उठा लिया और बेड पर चित लिटा दिया। उनकी दोनो गोरी टांगो को खूब फैला दिया ताकि उनकी गुलाबी चूत मेरे सामने खुल जाये और मुझे उनकी चूत को चाटने में ज़रा भी कठिनाई न हो। वो फिर से मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर आगे पीछे हिलाने लगी। उनके ये करने से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा। मैने उनकी नशीली चूत को चाट कर अपने थूक से चिकना किया। वैसे उनकी चूत बहुत मक्खन सी मुलायम और मलमल सी चिकनी थी। वो गरम-गरम मलाई से भरपूर चूत मुझे अब जन्नत सी लग रही थी जिसको अब चोदना बहुत ज़रूरी हो गया था। मेरे लप-लप कर उनकी चूत को चाटने से वो अपने मुंह से सी…सी…ऊऊऊओ…।अह्हह्हह्हह्हह्ह कर रही थी। बोली मेरे राजा जल्दी से अपना ७ इंच का शेर मेरी प्यार की गुफ़ा में घुसा दो। जल्दी से इस चूत की खुजली शांत करो। बहुत तड़प रहीं हूं।

मैने जल्दी से उनकी गोरी मांसल जांघो को दूर दूर किया और लौड़ा पकड़ कर अपना सुपाड़ा चूत के मुंह पे टिका कर सहलाया। फिर एक धीरे से ज़ोर लगाया जिससे लंड खच की आवाज़ से अंदर गरम गरम चूत में अंदर तक समा गया। वो आंखें बंद कर मस्त होने लगी। मैं बोला निशा तुम बहुत मस्त हो। वो मुस्कुरा दी। मैने अपने लंड का वेग बढ़ा दिया। लंड जल्दी जल्दी अंदर बाहर चलने लगा। लंड पूरे ज़ोर से अंदर बाहर आ जा रहा था जिससे निशा की चूचियां भी हिल रही थीं। दोनो बूब्स को मैने हाथ में भर कर मसलना शुरु कर दिया था और उनके निप्पल भी अपने होंठों में चूसने लगा। निशा की जवानी लूट कर १० मिनट तक गरम लंड रोड सा उसकी बुर को फाड़ता रहा। फिर मैने उसकी चूत से लंड बाहर निकाला और अपना गरम वीर्य उसकी चूत के ऊपर और टोंढी के छेद में डाल दिया।

अब वो शांत हो चुकी थीं और मेरा पहला प्यार का क्लास १ घंटे में खतम हुआ था। सेक्स की इस क्लास में मुझको मज़ा मिला था। अनोखा मज़ा।

कवियित्री की सुहागरात!

उस रात की बात न पूछ सखी जब साजन ने खोली अँगिया

स्नानगृह में नहाने को जैसे ही मैं निर्वस्त्र हुई,

मेरे कानों को लगा सखी, दरवाज़े पर है खड़ा कोई,

धक्-धक् करते दिल से मैंने, दरवाज़ा सखी री खोल दिया,

आते ही साजन ने मुझको, अपनी बाँहों में कैद किया,

मेरे यौवन की पा के झलक, जोश का यूँ संचार हुआ,

जैसे कोई कामातुर योद्धा रण गमन हेतु तैयार हुआ,

मदिरापान प्रारंभ किया, मेरे होठों के प्याले से,

जैसे कोई पीने वाला, बरसों दूर रहा मधुशाले से,

होठों को होठों में लेकर, उरोजों को हाथों से मसल दिया,

फिर साजन ने सुन री ओ सखी,जल का फव्वारा खोल दिया,

भीगे यौवन के अंग-अंग को, काम-तुला में तौल दिया,

कंधे, स्तन, नितम्ब, कमर कई तरह से पकड़े-छोड़े गए,

गीले स्तन सख्त हाथों से,वस्त्रों की तरह निचोड़े गए,

जल से भीगे नितम्बों को, दांतों से काट-कचोट लिया,

जल क्रीड़ा से बहकी थी मैं, चुम्बनों से मैं थी दहक गई,

मैं विस्मित सी सुन री ओ सखी, साजन की बाँहों में सिमट गई,

वक्षों से वक्ष थे मिले हुए, साँसों से साँसें मिलती थी,

परवाने की आगोश में आ, शमाँ जिस तरह पिघलती थी,

साजन ने फिर नख से शिख तक, होंठों से अतिशय प्यार किया,

मैंने बरबस ही झुककर के, साजन का अंग दुलार दिया,

चूमत-झूमत, काटत-चाटत, साजन पंजे पर बैठ गए,

मैं खड़ी रही साजन के लब, नाभि के नीचे पैठ गऐ,

मेरे गीले से उस अंग से, उसने जी भर रसपान किया,

मैंने कन्धों पर पाँवों को, रख रस के द्वार को खोल दिया,

मैं मस्ती में थी डूब गई, क्या करती थी ना होश रहा,

साजन के होठों पर अंग रख, नितम्बों को चहुँ ओर हिलोर दिया,

साजन बहके-दहके-चहके, मोहे जंघा पर ही बिठाय लिया,

मैंने भी उनकी कमर को, अपनी जंघाओं में फँसाय लिया,

जल से भीगे और रस में तर अंगों ने, मंजिल खुद खोजी,

उनके अंग ने मेरे अंग के, अंतिम पड़ाव तक वार किया,

ऊपर से थे जल कण गिरते, नीचे दो तन दहक-दहक जाते,

यौवन के सुरभित सौरभ से, अन्तर्मन महक -महक जाते,

एक दंड से चार नितम्ब जुड़े, एक दूजे में धँस-धँस जाते,

मेरे कोमल, नाजुक तन को, बाँहों में भर -भर लेता था,

नितम्ब को हाथों से पकड़े वो, स्पंदन को गति देता था,

मैंने भी हर स्पंदन पर था, दुगना जोर लगाय दिया

मेरे अंग ने उनके अंग के, हर एक हिस्से को फँसाय लिया,

ज्यों वृक्ष से लता लिपटती है, मैं साजन से लिपटी थी यों,

साजन ने गहन दबाव दे, अपने अंग से चिपकाय लिया,

अब तो बस एक ही चाहत थी, साजन मुझमें ही खो जाएँ,

मेरे यौवन को बाँहों में, भरकर जीवन भर सो जाऐं,

होंठों में होंठ, सीने में वक्ष, आवागमन अंगों ने खूब किया,

सब कहते हैं शीतल जल से, सारी गर्मी मिट जाती है,

लेकिन इस जल ने तन पर गिर,मन की गर्मी को बढ़ाए दिया,

वो कंधे पीछे ले गया सखी, सारा तन बाँहों में उठा लिया,

मैंने उसकी देखा-देखी, अपना तन पीछे हटा लिया,

इससे साजन को छूट मिली, नितम्ब को ऊपर उठा लिया,

अंग में उलझे मेरे अंग ने, चुम्बक का जैसे काम किया,

हाथों से ऊपर उठे बदन, नितम्बों से जा टकराते थे,

जल में भीगे उत्तेजक क्षण, मृदंग की ध्वनि बजाते थे,

खोदत-खोदत कामांगन को, जल के सोते फूटे री सखी,

उसके अंग के फव्वारे ने, मोहे अन्तःस्थल तक सींच दिया,

मैंने भी मस्ती में भरकर, उनको बाँहों में भींच लिया,

साजन के जोश भरे अंग ने, मेरे अंग में मस्ती को घोल दिया,

सदियों से प्यासे तन-मन को, प्यारा तोहफा अनमोल दिया,

फव्वारों से निकले तरलों से, तन-मन थे दोनों तृप्त हुए,

साजन के प्यार के मादक क्षण, मेरे अंग-अंग में अभिव्यक्त हुए,

मैंने तृप्ति के चुंबन से फिर, साजन का सत्कार किया,

दोनों ने मिल संभोग समाधि का, यह बहता दरिया पार किया,

उस रात की बात न पूछ सखी, जब साजन ने खोली अँगिया।